वो इश्क़ ही क्या जिसकी तबिश ना हो
वो हसीना ही क्या जिसकी फ़रमाईश ना हो।
वो हुस्न ही क्या जिसकी नुमाइश ना हो।
वो जिस्म ही क्या जिसकी आज़माइश ना हो।
वो हुस्न ही क्या जिसकी नुमाइश ना हो।
वो जिस्म ही क्या जिसकी आज़माइश ना हो।
वो इश्क़ ही क्या जिसकी तबिश ना हो।
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