सागर गंगा में मिल रहा

गंगा सागर में मिलती है, अब सागर गंगा में मिल रहा।
इस अदभुत जनसमूह को देख धरती-अम्बर हिल रहा।
लोगों के श्रद्धा-भाव से मन-उपवन फूंलों सा खिल रहा।
आश्चर्य है सदियों से यह पावन परंपरा अविरल रहा।


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